रविवार, 4 फ़रवरी 2018

लघु कथा -समर्पण

लघुकथा- समर्पण
वह छः माह बाद अपने गाँव लौटा था । मजदूरी के चक्कर में पूरे परिवार सहित पलायन कर जबलपुर चला गया था ।
 " रमलू कब लौटा ?" किसी ने उससे पूछा ।
" आज ही गुरूजी ।" उसका उत्तर ।
"एक बात पूछ सकता हूँ "। गुरूजी का प्रश्न ।
"क्यों नहीं गुरूजी ।बेशक पूछिए ।"रमलू चहकते हुए बोला ।
"यार तूने परिवार नियोजन अपनाया था । पर कल मैंने देखा तेरी पत्नी फिर भी गर्भ से है ।"
"का करें गुरूजी । बाहर जाने के बाद हम मजदूरों का यही हाल होता है । ज्यादा मजदुरी पाने के चक्कर में ठेकेदार को मेहनत के साथ-साथ  अपनी इज्जत भी समर्पित करना पड़ता है ।"

लघु कथा-न्याय

लघु कथा- न्याय
यूँ तो वह थाने में आने वाली रेप पीड़िताओं के साथ कभी न्याय करता नजर नहीं आया । अक्सर पीड़िताओं को उसकी दबंगई के चलते दुत्कार ही मिली 
पिछले माह की घटना है । इलाके किसी गुंडे ने उसकी बिटिया का अपहरण कर बलात्कार कर दिया । अपने प्रयास से हारा वह अपने ही विभाग के कई दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक गया । मगर न्याय के आस के लिए अपने ही विभाग के कान बहरे बने पड़े हैं । आँखे खुली हैं मगर कुछ दिख नहीं रहा है । आश्वासन, विचार, जांच, घोषणाओं  के चौखट पर नाक रगड़ता रोटीबिलखता उसका दंभ 

मंगलवार, 30 जनवरी 2018

लघुकथा- फर्क

 लघुकथा-फर्क
एक होटल में पुलिस का छापा पड़ा  ।छापेमारी के दौरान पुलिस ने चार जोड़ों को गिरफ्तार किया । वे सब रईस खानदान से थे ।
छापामार टीम  एक सिपाही -"ये हाल है रईसों की बिगड़ैल औलादों का ।मर्यादा न आबरू की चिंता ...।"
"ये तो इनका फैशन भी है और शौक भी दोस्त ।"दूसरे सिपाही का तर्क ।

"देखो इनके चेहरे पर ज़रा भी सिकन नहीं ..।"
" सिकन तो बड़े साहब के चेहरे पर आ गयी है ।फोन पर फोन आ रहे हैं । कह रहे थे ।गलत जगह हाथ डाल दिए.... यार।"

लघु कथा - संस्कृति का दान

लघु कथा - संस्कृति का दान
क्षेत्र आपदा पीड़ित । सहयोग हेतु एक संस्था आगे आयी । वह संस्था जरूरतमंद लोगों के लिए नए पुराने कपड़ों का दान मांग रही थी ।संस्था की गाडी जब धनाढय वर्ग की कॉलोनी से गुजरी ।देखा  पश्चिमी फैशन में सजी-धजी  यौवनाएँ उन सारे कपड़ों का दान कर दी । जिन्हें धारण कर पूरे बदन की नग्नता ढकी जा सकती थी ।
 -- सुनील कुमार "सजल"

रविवार, 28 जनवरी 2018

लघुकथा - सोच

लघु कथा - सोच
" रमेश सुना है ,आजकल तुम गरीब बस्ती बहुत दिख रहे हो । धनाढय पिता का प्रश्न  ।
"हाँ ,मैं गरीबों की मदद करने जाता हूँ ।उन्हें मुफ्त शिक्षा दे रहा हूँ ।"
" क्या मुफ्त शिक्षा ?"पिता आश्चर्य से। "नालायक मैंने इसी काम के लिए  तुझ पर  लाखों रुपये खर्च कर डिग्रियां दिलाया । अपनी चिंता कर ।कोई विशाल कान्वेंट स्कूल खोल जहां लाखो रुपये हाथ आएंगे । उन गरीबों की चिंता सरकार करे ।उसकी जिम्मेदारी है । समझा । "

लघु व्यंग्यकथा - शौक

लघु व्यंग्यकथा - शौक
उसे फेशबुक में वायरल सामग्री पोस्ट करने का शौक था । एक बार उसने एक वीडियो पूरा देखा नहीं।पोस्ट कर दिया । जो उसी की खानदान की लड़की का वायरल अश्लील वीडियो था । मगर अब क्या ? उसका शौक....उसे ही खीझे बंदरों की तरह  चिढ़ा रहा रहा ।

बुधवार, 24 जनवरी 2018

लघु व्यंग्य - अंकुश

लघु व्यंग्य -अंकुश
गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों के एक समूह ने अपनी अधीक्षिका के खिलाफ विद्रोह कर दिया ।वे शिकायत हेतु उच्च अधिकारी के पास पहुंची ।उनकी अधीक्षिका उन  पर अंकुश पर अंकुश लगाती हैं ।पीना-खाना, मौज-मस्ती,, घूमने -फिरने और लड़कों के संग दोस्ती पर अंगुलियां उठाती हैं । आखिर वे वयस्क हो गयी हैं ।समझदारी उनमें भी आ चुकी है फिर तरह तरह के अंकुश क्यों .....?"
    गंभीरता से उनकी बातें  सुनते अधिकारी की नजरें पूरी समझदारी के साथ उनके  आकर्षक बदन पर घूमने लगी थीं ।